AL-KHALIQ (अल खालिक) पैदा करने वाला
अल्लाह तआला क़ायनात की हर चीज का ख़ालिक़ है। यानी जब कोई चीज न थी बस सिर्फ उस की ज़ात थी तो उस ने जमीनो आसमान, जन्नत, दोज़ख, अर्श, मतलब कायनात की हर चीज की तखलीक की। इस लिए उसे ख़ालिक़ कहा जाता है।
यह भी कहा जाता है कि जो कोई इस इस्म को कसरत से पढ़ेगा या रात को उसे पढ़ने की आदत बना लेगा तो अल्लाह तआला उस के दिल को नूरे ईमान से मुनव्वर फरमा देगा।
उस के आमाल नामे में बेपनाह सवाब लिखा जाएगा। इस इस्म को पढ़ने के अलग अलग फायदे हैं-
नूरे ईमान से मुनव्वर होने के लिए:
अगर कोई अल्लाह का सही रास्ता चाहता हो ताकि उस का दिल नूरे ईमान से मुनव्वर हो जाए तो उसे चाहिए “या ख़ालिकु” को रोजाना ग्यारह सौ बार सुबह शाम पढ़े।
इनशाअल्लाह उस का दिल इबादत में खूब लगेगा और उसे नेक कामों की खूब तौफीक मिलेगी । इस के अलावा उस का दिल अल्लाह के नूर से रौशन हो जाएगा और तमाम कामों में खूब कामयाबी हासिल होगी।
नेक औलाद पैदा होने के लिए:
ऐसा मर्द या औरत जिस के यहां औलाद पैदा न होती हो तो उन्हें चाहिए कि ग्यारह जुमेरात का नफ़्ली रोज़ा रखें और जुमेरात और जुमे की बीच की रात को यह इस्स 4386 बार बढ़ें।
अव्वल और आखिर दुरुद शरीफ ग्यारह ग्यारह बार पढ़ें और पानी पर दम कर के दोनों मियां बीवी पियें और बाद में अल्लाह से नेक औलाद होने की दुआ करे इनशा अल्लाह दुआ कबूल होगी और नेक औलाद पैदा होगी।
हमल ठहरने के लिए:
अगर् किसी औरत का हमल गिर जाता हो तो उस सूरत में वह खुद सात दिन तक बाद नमाज़ इशा सात हजार बार रोज़ाना इस इस्म को पढ़े और फिर पानी पर फूंक मार कर खुद पिये अगर यह अमल खुद न कर सकती हो तो उस का कोई अज़ीज़ कर ले।
इस इस्म के अव्वल और आखिर इक्कीस इक्कीस बार दुरुद शरीफ पढ़े इनशा अल्लाह उसे औलाद हासिल होगी।
इबरत हासिल करने के लिए:
जो शख्स “या ख़ालिकु” को कसरत से पढ़ने की आदत बनाएगा तो अल्लाह ताला इस इस्म को पढ़ने वाले में यह खूबी पैदा फरमा देगा कि उस का गुस्सा काम हो जाएगा और बड़े से बड़ा ऐबदार भी उस को देख कर नफरत न करेगा
बल्कि इबरत हासिल करेगा कि उसे भी अल्लाह तआला ने पैदा फरमाया है और उसे बनाने में अल्लाह तआला की कोई हिकमत होगी ।
हर काम में कामयाबी के लिए:
जो शख्स फ़र्ज़ की नमाज़ के बाद इस्म “या ख़ालिकु” को कसरत से पढ़ने की आदत बना लेगा तो अल्लाह तआला उसे हर काम में कामयाबी से देगा।
इस इस्म को पढ़ने में अल्लाह तआला गैर मामूली सलाहियतें पैदा फरमा देता है।
रुके हुए काम के लिए:
अगर किसी का कोई काम न होता हो तो वह सात सौ बार यह इस्मे पाक “या ख़ालिकु” पढ़ कर अल्लाह तआला से दुआ मांगे।
इनशा अल्लाह तआला उस के काम की अन्जामदही के लिए गैब से कोई न कोई सबब पैदा हो जाएगा।
ग़रज़ यह कि रुके हुए काम के होने के लिए इस इस्म को मुसतकिल पढ़ते रहना बहुत फायदे मन्द है।
दिली मुराद पुरी होने के लिए:
जो कोई हर नमाज़ के बाद कसरत से इस इस्मे मुबारक का विर्द करे तो अल्लाह तआला उस की हर जाइज़ मुराद को जल्द पूरा फरमा देता है और उसे दुनियावी ज़रुरियात के सिलसिले में किसी का मोहताज न होने देगा।
इस इस्म को पढ़ने वाले की हर जरुरत बारगाहे रब्बुल इज्जत की तरफ से पूरी होगी।
बुरे लोगों के शर से महफूज़ रहने के लिए:
अल्लाह तआला ने इन्सान को बेहतर तरीके से पैदा फरमाया है। इस लिए जो शख्स इशा की नमाज़ के बाद “या ख़ालिकु” को कसरत से पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे बुरे लोगों से बचने की तौफीक अता फरमा देगा।
ऐसे ही अगर कहीं झगड़ा पैदा हो जाने का खतरा हो जाए तो इस इस्म को पढ़ना शुरु कर दिया जाए। अल्लाह की मेहरबानी से झगड़ा खत्म हो जाएगा और कोई शख़्स नुक्सान न पहुंचा सकेगा ।
बच्चों की जिद छुड़ाने के लिए:
कुछ अहले अमल का कहना है कि अगर छोटे बच्चे मां बाप के साथ जिद करते हों तो उन की इस आदत को छुड़ाने के लिए “या ख़ालिकु” एक हजार बार पढ़ा जाए और पानी दम कर के जिद्दी बच्चो को पिलाया जाए तो अल्लाह की मेहरबानी से बच्चे जिद करना छोड़ देंगे । इस अमल को सात दिन तक किया जाए।
Ya Baisu (या बाइसू) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत
अल्लाह तआला के ख़ास फ़ज़्ल के लिए:
जो शख्स अल्लाह तआला के खुसूसी फ़ज़्लो करम का तालिब हो तो उसे चाहिए कि इस्मे पाक ‘या खालिकु’ को नमाजे जोहर के बाद तीन हजार बार पढ़ने की आदत डाल ले तो अल्लाह तआला अपने इस इस्म की पढ़ाई की वजह से उस पर अपने सुसुसी फ़ज़्ल का दरवाजा खुल देगा और उसे दीनो दुनिया में बुलन्द मर्तबा अता फरमाएगा।