मुअख्खिर का मतलब अपनी रहमत से दूर करना है। अल्लाह इस एतबार से मुअख्खिर है कि वह अपने दुशमनों को अपनी रहमत और कुर्ब से दूर कर देता है।
ऐसे ही एक मफहूम यह भी है कि वह (अल्लाह) लोगों को ढ़ील दे देता है कि अब भी सीधे रास्ते की तरफ आ जाएं, इस तरह वह गुनाहगारों की सज़ा में देर कर देता है। इस लिहाज़ से वह मुअख्खिर है।
इस नाम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे पढ़ने वाले से बुराई दूर होती चली जाती है और उसका दिल नेक कामों की तरफ झुकने लगता है। खुदा उससे गुनाहों को दर कर देता है।
इस नाम का जिक़ करने वाला हमेशा अल्लाह के नेक बन्दों की तलाश में रहता है और उन्हें दिल से चाहता है । अल्लाह के दुशमनों से दूर रहने की कोशिश करता है ।
कुछ का कहना है कि इन्सान का फर्ज है कि वह अल्लाह से रहमत का भी उम्मीदवार रहे, क्योंकि वह मुकद्दम है और उसके अज़ाब से डरे भी इस लिए कि वह मुअख्खिर है। न मालूम कौन सी ग़लती ऐसी हो कि उस पर पकड़ हो जाए।
तौफीक-ए-तौबा का बेहतरीन अमल:
तौबा से गुनाह मुआफ हो जाते हैं और अल्लाह अपने बन्दे से गुनाहों को दूर कर देता है, मगर तौबा की तौफीक का मिलना जरूरी है।
इस मकसद के लिए यह नाम बहुत मुफीद (फाइदेमन्द ) है। इस लिए जो शख्स “या मुअख्खिरु” खूब पढ़ेगा उसे इंनशा अल्लाह सच्ची तौबा की तौफीक मिल जाएगीं।
एक कौल है कि जब इन्सान की उमर खत्म होने के करीब आ जाए और उसकी नेकियां बहुत कम हों । गुनाहों की कसरत से कब्र और हश्र का खौफ दामन गीर हो तो इसे पढ़ने से अल्लाह तअला तमाम गुनाह मुआफ कर देता है और साथ ही उसे थोड़ी मोहलत और दे देता है ताकि वह नेक काम कर सके ।
नेक बनने का अमल:
इस नाम को रोजाना एक सौ बार पढने से बच्चे नेक हो जाते हैं दिल में सुकून पैदा हो ज़ाता है । बुराइयां दूर हो जाती हैं, अल्लाह के औलिया जैसी खूबी पैदा हो जाती है और खुदा की याद की तरफ बहुत ज़्यादा झुकाव पैदा हो जाता है ।
जो शख्स एक हज़ार बार इस नामे मुबारक का विर्द करता है अल्लाह उसे नेक बनने की तौफीक अता करता है । जो शख्स “’या मुअख्खिरु” का हमेशा विर्द करता है अल्लाह उसके दिल को नेक कामों की मुहब्बत से भर देता है और वह शख्स अल्लाह के दोस्तों के साथ प्यार करने लगता है ।
मुश्किल काम में आसानी:
कामों की तकमील में मुश्किलें बुराइयों की वजह से पैदा होती हैं । इस नाम के पढ़ने से बुराइयां दूर हो जाती हैं । इस लिए अगर किसी शख्स के काम में रुकावट हो तो उसे चाहिए कि इस नाम को 846 बार रोजाना 21 दिन तक पढ़े।
इनशा अल्लाह काम में आसानी पैदा हो जाएगी और उसके सारे कामों का जिम्मेदार अल्लाह तअला बन जाएगा । अगर कोई शख्स हर रोज एक सौ बार “या मुअख्खिरु” का विर्द करे तो अल्लाह उसके तमाम मुश्किल कामों को आसान कर देता है।
ऐसे शख्स का अपने खुदा पर भरोसा बहुत बढ़ जाता है ।
कब्र के अजाब से छटकारा:
कब्र के अजाब से छुटकारा हासिल करने के लिए हर नमाज़ के बाद इस मुबारक नाम को खूब पढ़ें अल्लाह तअला इसकी बरकत से आखिरत की मन्जिलें आसान कर देगा ।
अल्लाह की मुहब्बत का पैदा होना:
अल्लाह तअला का यह मुबारक नाम हर एतबार से बाइसे बरकत, रहमत और इन्सान के दिल में तौहीद के अकीदे को मजबूत करने वाला है ।
जो शख्स “या मुअख्खिरु” का हर रोज विर्द करना अपना रूटीन बना लेता है उसके दिल में अल्लाह तअला की बेपनाह मुहब्बत हमेशा उजागर रहती है ।
नफ्स को सही रास्ते पर रखने का अमल:
इस मुबारक नाम का विर्द नफ्स को सही रास्ते पर रखने के लिए बहुत मुफीद है । इस लिए जिस शख्स का नफ्स बराइयों पर उकसाता हो उसे चाहिए कि सुबह की नमाज की सुन्नतें पढ़ने के बाद फर्जों से पहले इस नाम को 41 बार पढ़े । इनशा अल्लाह यह विर्द नफ्स को हमेशा के लिए सही रास्ते पर कायम कर देगा ।
दुशन को दूर करना:
ऐसा दुशमन या जालिम जिसे दूर करना ज़रूरी हो तो उसे दूर करने की गर्ज से इस नाम को 40 दिन तक 6250 बार पढ़ें ।
इन्शा अल्लाह दुशमन खुद ब खुद दुशमनी छोड़ देगा और दूर हो जाएगा, क्योंकि इस नाम की बरकत से दुशमन खुद ब खुद पीछे हट जाता है।
Ya Hakeemu (या हकीमु) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत
मायूस मरीजों का इलाज़:
ऐसे मायूस मरीज जो बीमारी में लम्बे अरसे तक मुब्तिला-रहने से तंग आ चुके हों । ऐसे मरीज इसे हर वक्त पढ़ें। बैठते उठते चलते फिरते इस नाम का विर्द दिल में करें ।
इनशा अल्लाह, अल्लाह तअला इनसे बीमारी दूर करने की वजह पैदा कर देगा और अन्जाम बखैर (ठीक) हो जाएगा ।
मकबूल और मुअजिज होना:
इस मुबारक नाम का जो शख्स हर रोज विर्द करना अपना रूटीन बना लेता है, अल्लाह तअला उसे लोगों में मकबूल और मुअजिज़ बना देता है।