Ya Raqeebu (या रक़ीबु) - अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

AR-RAQEEB (अर रक़ीब) निगेहबान

हिफाज़त के लिए (देखभाल) और निगरानी करने वाले को रकीब कहा जाता है। अल्लाह तआला रकीब है, क्योंकि वह अपने बन्दों की हर चीज़ का निगहबान और हिफाज़त करने वाला है ।

हर छोटी और छुपी हुई चीज़ों की निगहबानी करता है । कोई चीज किसी वक्त भी उसकी नज़र से ओझल नहीं । एक बुजुर्ग का कहना है कि अल्लाह तआला की ज़ात ही हर चीज को जानती है और हर चीज की हिफाजत करती है और अल्लाह तआला उससे एक लम्हा भी गाफिल नहीं ।

इसलिए उसे रकीब कहा जाता है। इसलिए ‘Raqeeb (रकीब)’ अलीम और हफीज का जखीरा है । बन्दे का फर्ज है कि वह यह बात जान ले कि हर वक्‍त अल्लाह तआला उसे देखता और हर वक्त उसके पास मौजूद है।

यह बात भी सोच ले कि शैतान और उसका नफ़्स उसके दुशमन हैं और यह दोनों दुश्मन हर वक्‍त इस कोशिश में लगे रहते हैं कि बन्दे को अल्लाह की इताअत (बात मानना) से गाफिल कर दें और जब बन्दे को यह चीज़ मालूम है तो उसकी समझदारी और अक्लमन्दी इसी में है कि उन दोनों के धोके से बचने की कोशिश करे और हर वक्‍त अपने नफ़्स की निगहबानी करता रहे ताकि वह हद से न बढ़े ।

सच्चे मुरीदीन का साथी वज़ीफा:

यह वज़ीफा राहे सुलूक (खुदा से कुरबत पैदा करना) के चाहने वालों के लिए बहुत फाइदामन्द है अगर वह इसे रोजाना वजीफा के तौर पर 312 बार पढ़ते रहें तो उन्हें, इस नाम की बदौलत राहे सुलूक में इस्तेकामत हासिल होगी ।

उनका ज़ाहिर और बातिन अल्लाह की हिफाजत में रहेगा और उनका दिल अल्लाह की तरफ लगा रहेगा और इबादत में खूब दिल लगेगा।

शैतानी ख़्यालात से हिफाज़त के लिए:

हर तरह के शैतानी वसवसों (ख्यालात) से बचने के लिए “Ya Raqeebu (या रकीबु)” का विर्द करेना बेहद फाइदामन्द और कारगर होता है।

अगर कोई शख्स हर रोज़ रात सोने से पहले और दिन को आगाज़ करने के साथ एक सौ बार इस नाम की विर्द करे तो अल्लाह तआला उसके दिल से हर तरह के वस्वसे और खौफ दूर कर देता है और उसके दिल में पाकीजा ख्यालात पैदा कर देता है ।

बीवी बच्चों को अल्लाह की हिफाज़त में रखना:

अगर कोई शख्स सफर मे जाए और वह 111 बार यह ”या रकीबु” पढ़कर पानी दम करके अपने तमाम बच्चों और बीवी को पिला जाए और थोड़ा सा पानी अपने मकान के चारों कौनों पर छिड़क दे तो उसकी वापसी तक उसका मकान और बाल बच्चे अल्लाह की हिफ़राजत में रहेगा।

अगर ऐसा न कर सके तो चलते हुए कुछ मर्तबा “या रकीबु” का विर्द कर ले । इन्शा अल्लाह वह हर तरह से हिफाज़त में रहेगा।

छीनी हुई चीज़ को वापस हासिल करना:

अगर किसी की कोई चीज, दौलत वगैरह दुशमन ने अपनी ताक़त के ज़ोर से हसद के मारे छीन ली हो तो उसे चाहिए कि वह कसरत से “Ya Raqeebu” का ज़िक्र करे ।

AL-MUHSEE (या मुहसियु) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

फसलों की हिफाजत का अमल:

अगर कोई जमीन्दार और किसान चाहे कि अल्लाह तआला उसकी फसलों और खेतों की पैदावार की हिफाज़त करे और फसल को बेहतर पैदा करे तो उसे चाहिए कि वह अपनी फसलों के चारों किनारों पर खड़ा होकर 70 बार “या रकीबु” पढ़कर दिल में अल्लाह से दुआ करे तो अल्लाह तआला हिफाजत फरमाता है । बाग़ात की हिफाज़त के लिए भी यही अमल फाइदामन्द है ।

सफर में गुमशुदगी की परीशानी से बचने का अमल:

सफर में रवाना होते वक़्त अपने सामान और बच्चों पर “या रकीबु” 21 बार पढ़कर फूंक मार दें । इन्शा अल्लाह कोई चीज़ सफर में गुम न होगी और अगर कोई चीज़ खुदा न करे गुम हो ही जाए तो इस नाम को कसरत से पढ़ना शुरू कर दें । इन्शा अल्लाई चीज़ मिल जाएगी या उसका बदला मिल जाएगा ।

सफर से बखैरियत वापसी:

सफर की हालत में ”या रकीबु”’ को ज्यादा से ज़्यादा पढ़ने से सफर खैरियत से पूरा होता है और सफर की परीशानी और मुश्किलात आसान हो जाती हैं और वापसी खैरियत से होती है ।

अगर कोई शख्स सफर की हालत में गाहे बगाहे बार बार “या रकीबु” का विर्द करता रहे तो अल्लाह तआला उसे सफर की परेशानी और हादिसे वगैरह से बचाए रखता है ।

गुमशुदा चीज़ का वापस मिलना:

अगर किसी की कोई चीज गुम हो जाए या न मिल रही हो तो उसे चाहिए कि कुछ दिन तक हर नमाज़ के बाद एक 170 बार “या रकीबु” का विर्द करे तो इन्शा अल्लाह जल्द ही वह चीज़ मिल जाएगी या उसे याद आ जाएगी कि वह चीज़ कहां है ।

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