नाम रखने का कारण
अतवरणकाल: विषय और वर्णन-शैली से साफ आभासित होता है कि यह मक्का मुअज़्ज़मा आरम्भिक काल की अवतरित सूरतों में से है।
विषय और वार्ता
इसके दो विषय हैं: एक आख़िरत और दूसरे रिसालत (पैग़म्बरी) ।
पहली 6 आयतों में क़यामत के पहले चरण का उल्लेख किया गया है। फिर 7 आयतों में दूसरे चरण का उल्लेख है।
आखिरत के इस समग्र चित्रण के पश्चात् यह कह कर मनुष्य को सोचने के लिए छोड़ दिया गया है कि उस समय हर व्यक्ति को स्वयं ही मालूम हो जाएगा कि वह क्या लेकर आया है। तदान्तर रिसालत का विषय लिया गया है।
इसमें मक्का वालों को कहा गया है कि मुहम्मद (सल्ल0) जो कुछ तुम्हारे समक्ष प्ररस्तुत कर रहे हैं वह किसी दीवाने की ‘बड़’ है, न किसी शैतान का डाला हुआ वसवसा (बुरा विचार) है, बल्कि ईश्वर के भेजे हुए एक महान, प्रतिष्ठित और विश्वसनीय सन्देश वाहक का बयान है जिसे मुहम्मद (सल्ल0) ने खुले आकाश के उच्च क्षितिज पर दिन के प्रकाश में अपनी आँखों से देखा है। इस शिक्षा से मुंह मोड़ कर आखिर तुम किधर चले जा रहे हो ?