हज़रत सल्ल. की 5 अहम नसीहतें

हज़रत सल्ल० की 5 अहम नसीहतें

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० फ़रमाते हैं कि एक दिन में हज़रत सल्ल० के पीछे सवारी पर बैठा हुआ था कि आप सल्ल० ने फरमाया: “ऐ लड़के!

1. तू अल्लाह के हक की हिफाज़त कर, अल्लाह तेरी हिफाजत फ़रमाएगा। तू अल्लाह के हुक्कूक की हिफ़ाज़त कर, तू हर वक्त अल्लाह को अपने सामने पाएगा।


2. जब तू माँगे, तो अल्लाह ही से माँग।


3. जब मदद तलब करे तो अल्लाह तआला ही से मदद तलब कर


4. और इस बात को अच्छी तरह जान ले कि तमाम उम्मत इकट्ठा होकर तुझे नफा पहुंचाना चाहे तो उसके अलावा कोई नफ़ा नहीं पहुंचा सकती जो अल्लाह तआला ने तेरे लिए मुक़द्दर कर दिया है।


5. और तमाम लोग जमा होकर तुझे कोई नुक्सान पहुचाना चाहें तो उसके सिवा कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकते जो अल्लाह तआला ने लिख दिया है। (तिर्मिज़ी, 278)


इस हदीस शरीफ़ में जनाब रसूलुल्लाह सल्ल० ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्यास रजि० को मुखातिब करके पांच बातों की नसीहत फ़रमाई है।






1. अल्लाह के हक़ की हिफ़ाज़त करो


तुम अल्लाह के हक की हिफ़ाज़त और निगरानी करो, अल्लाह तुम्हारी हिफाजत करेगा। इसका मतलब यह है कि तुम अल्लाह के अहकाम की तामील करो, शरीअत और सुन्नते नबवी तुम्हारी जिंदगी से ज़ाहिर होती हो। नमाज़ में, रोज़े में, ज़कात व सदक़ा-ख़ैरात में, अख़्लाक़ में, गुफ़्तुगू में, मुआशिरे में अल्लाह के अहकाम और नबी सल्ल० की सुन्नत के तुम पाबन्द हो जाओ तो अल्लाह तआला भी दुनिया व आख़िरत की हर मशक्कत और हर परेशानी से तुम्हारी हिफ़ाज़त और तुम्हारी दस्तगीरी करता रहेगा। नीज़ तुम अल्लाह के हक़ की हिफ़ाज़त करोगे, शरीअत के पाबन्द हो जाओगे तो तुम हर वक़्त अल्लाह तआला को अपने सामने पाओगे जब अल्लाह हर वक्त तुम्हारे साथ है तो तुमको फिर किसी और का मुहताज होने की ज़रूरत नहीं, और जब अल्लाह की ताक़त तुम्हारे साथ है तो तुम्हारा कौन क्या बिगाड़ सकता है; न मख्लूक से उम्मीद है, न ही मख्लूक से डर है।


2. सिर्फ ख़ुदा से माँगो


दूसरी नसीहत आप सल्ल० ने यह फ़रमाई कि जब तुम्हें कुछ माँगने की जरूरत पेश आ जाए तो सिर्फ अल्लाह से माँगों अल्लाह तआला की दौलत का समुन्दर इतना वसीअ है कि इंसानी अक़्ल हैरान और शुश्द रहे। अगर अल्लाह तआला सबको उसकी तमन्ना और आरजुओं के मुताबिक दे दे तो उसकी दौलत में से इतना भी नहीं जाता है जितना समुन्दर में से सूई की नोक में आ सकता है-और वह साहिबे दौलत भी खुश नसीब है कि इधर तुम अल्लाह से माँगते हो और उधर अल्लाह पाक उसके दिल में डाल देता है और बेचैन होकर तुम्हारे पास लेकर आता है और अगर तुम उसको कुबूल कर लेते हो तो वह अपनी खुशनसीबी समझता है। तुम भी मक़बूले बारगाह हुए और उसकी दौलत की भी इंशाल्लाह शर्फ़े कुबूलियत हासिल हुआ। तुमने तक़वा इख़्तियार किया और उसका माल एक मुत्तकी को पहुँच गया।


जनाब रसूलुल्लाह सल्ल० ने इरशाद फ़रमाया कि तुम मोमिन के अलावा किसी दूसरे को अपना दोस्त हरगिज़ मत बनाओ और तुम्हारे यहाँ का खाना मुत्तकी लोगों के अलावा कोई दूसरा खाने न पाए। लिहाजा तुम्हारा दोस्त भी कामिल मोमिन होना चाहिए और तुम्हारे मेहमान भी मुत्तक़ी लोग होने चाहिएँ।


3. सिर्फ अल्लाह से मदद माँगो


तीसरी नसीहत आप सल्ल० ने यह फ़रमाई है कि जब तुम किसी मुसीबत, दुशवारी में मुब्तला हो जाओ किसी परेशानी में, बीमारी में, दुश्मनों के नरगा में आ जाओ और हर तरफ़ से तुम्हें सताया जा रहा हो तो ऐसे हालात में तुम्हारे दस्तगीर सिर्फ़ ख़ुदा तआला हैं, इसलिए सिर्फ उसी से फरियादरसी करो और उसी से मदद माँगो


4. मख्लूक तुमको नफ़ा नहीं पहुंचा सकती


चौथी नसीहत यह फ़रमाई कि अगर दुनिया के तमाम इंसान और तमाम उम्मत मिलकर तुमको किसी बात का नफा पहुँचाना चाहें तो उससे ज्यादा एक पैसे का भी नफा नहीं पहुंचा सकते जो अल्लाह ने तुम्हारे मुक़द्दर में लिख दिया है; लिहाज़ा मख्लूक से ज़्यादा उम्मीदें मत बाँधा करो। यह फ़ुज़ूल ख्यालात हैं। तुम्हें अपनी मेहनत खुद करनी है, जो तुम्हारे मुक़द्दर में है वह तुमको इस बहाने से मिलता रहेगा और हर वक़्त ख़ुदा की याद तुम्हारे अंदर ग़ालिब रहेगी।


5. मख्लूक तुमको नुक्सान नहीं पहुँचा सकती


पाँचवीं नसीहत जनाब रसूलुल्लाह सल्ल० ने यह फ़रमाई कि अगर दुनिया के तमाम इंसान इस बात पर मुत्तफ़िक़ होकर जमा हो जाएं कि तुमको नुक्सान पहुँचाएँ तो इससे ज़्यादा एक ढेले के बराबर भी तुमको नुक्सान नहीं पहुँचा सकते जो अल्लाह ने तुम्हारे मुकद्दर में लिख दिया है, किसी की कोई ताकत नहीं जो तुम्हें नफा पहुंचाए या तुम्हें कुछ नुक्सान पहुँचाए। इसलिए सारा भरोसा ख़ुदा पर करो। अल्लाह तआला के ही नियाज़मंद बन जाओ।




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