ब्रश, मंजन और टूथ पेस्ट से मिस्वाक का सवाब नहीं मिलेगा: जहाँ तक नजाफत और दांतों की सफाई और सुधराई का हुक्म है, वहाँ तक तो दांतों की सफाई के लिए कोई चीज़ भी इस्तेमाल करे,नजाफत और सफाई का हुसूल हो जाएगा और आम नजाफत और सफाई के हुकुम की तामील का नीयत के पाए जाने पर सवाब मिल जाएगा। मगर मिस्वाक की जो फ़ज़ीलत है इससे नमाज़ का सवाब 70-75 गुना बढ़ जाता है।
मिस्वाक करते वक्त यह नीयत कीजिए
इमाम ग़ज़ाली ने लिखा है कि मिस्वाक करते वक्त यह नीयत करे कि "ख़ुदा के ज़िक और तिलावत के लिए मुँह साफ़ करता हूँ।" इसकी शरह अहया में है कि महज़ इजाल-ए-गन्दगी की नीयत न करे बल्कि इसके साथ यानी सफ़ाई की नीयत के साथ जिक्र व तिलावत की नीयत भी करें ताकि इसका भी सवाब मिले।मिस्वाक करने का मसनून तरीका
अल्लामा इब्ने नजीम ने अल-बहरुर्राइक में लिखा है कि मिस्वाक करने का तरीका यह है कि मिस्वाक दाँत के ऊपरी हिस्से और निचले हिस्से और तालू पर मले और मिस्वाक मलने में दायीं जानिब पहले करे फिर बायीं जानिब कम-से-कम तीन बार ऊपर के दांतों को इसी तरह तीन बार नीचे के दांतों को मले, मिस्वाक दाएँ हाथ से पकड़कर लम्बाई और चौड़ाई दोनों में करे।
तहतावी अली मराकी में तरीक़-ए-मिस्वाक बयान करते हुए लिखा है कि दाँत के अन्दरूनी और दाँत के बाहरी हिस्से दोनों जानिब करे और मुँह के ऊपरी हिस्से में भी करे।
अल्लामा शामी ने लिखा है कि मिस्वाक दाँतों के बाहरी हिस्से पर घुमा घुमा कर करे और चौव्वे दाँत के ऊपरी हिस्से के और दोनों दाँतों के जोड़ में भी करे।
मिस्वाक पकड़ने का मनून तरीका: मिस्वाक पकड़ने का मसनून तरीका यह है की दाएँ हाथ की खिन्सर (सबसे छोटी उंगली ) को मिस्वाक के नीचे करे और विन्सर (उससे बगल वाली )और सव्वावा यानी अंगुश्ते-शहादत मिस्वाक के ऊपर रखे और अंगूठा मिस्वाक के सिरे के नीचे रखे, और मिस्वाक दाएँ हाथ से पकड़े।
Miswak ka Size Kitna Hona Chahiye
मिस्वाक करने में नीचे लिखी बातों का ख्याल रखिए वरना कई बीमारियों का अन्देशा है
- मिस्वाक को मुट्ठी में पकड़ कर न करे इससे मर्ज़े बवासीर पैदा होता है।
- मिस्वाक लेटकर न करे क्यों कि इससे तिल्ली बढ़ती है।
- मिस्वाक को चूसे नहीं कि इससे नाबीनाई, अंधापन आता है। (हाँ मगर मिस्वाक नई हो तो पहली बार सिर्फ चूसा जा सकता है।)
- पहली बार नई मिस्वाक को चूसना जुज़ाम और बर्स को दफ़ा करता है। मौत के अलावा तमाम बीमारियों से शिफ़ा है, इसके बाद चूसना निस्यान पैदा करता है।
मस्वाक को बिछाकर न रखिए बल्कि खड़ी करके रखना चाहिए
मिस्वाक को धोकर रखे और फिर करते वक्त धोए मिस्वाक जमीन पर न रखे कि जुनून का अन्देशा है, बल्कि ताक़ या किसी और ऊँचे मक़ाम दीवार वगैरह पर खड़ी रखिए। हज़रत सईद बिन जबीर (रजि०) से नक़ल किया गया है कि जो शख्स मिस्वाक को जमीन पर रखने की वजह से मजनूँ हो जाए तो वह अपने नफ्स के अलावा किसी को मलामत न करे कि यह खुद उसकी अपनी ग़लती है।