वज़ू क्या है और वज़ू का तरीका

वज़ू क्या है और वज़ू का तरीका

1. वज़ू क्या है 

नमाज़ पढ़ने से पहले हाथ-मुँह धोने के खास तरीके को वज़ू कहते है। नमाज़ शुरू करने से पहले वज़ू करना फ़र्ज़ है। वज़ू के बग़ैर नमाज़ सही नहीं होगी। इस्लाम में पाकी बहुत ज़रूरी है।

वज़ू नमाज़ से पहले शारीरिक और मानसिक दोनों की तैयारी है, और अल्लाह तआला के साथ बात चित करने से पहले 'पाक' होना ज़रूरी होता है इसके बिना नमाज़ शुरू नहीं हो सकती। 

2. वज़ू कब ज़रूरी है 

नमाज़ दिन में 5 बार पढ़ी जाती है और जबकि वज़ू को हर एक नमाज़ से पहले दोहराने की आवश्यकता नहीं होती है, जब तक की आपकी वजू टूट नहीं जाती है इसे एक नए तरीके से जानते है। संभोग, रक्तस्राव, उल्टी, सो जाना या कोई नशीला पदार्थ लेने सहित निजी अंगों से ठोस या तरल या हवा के निर्वहन से वुज़ू टूट या अमान्य हो जाता है। फिर वज़ू करना जरुरी हो जाता है |

वज़ू का तरीका 

1. वज़ू की नियत 

सबसे पहले तो पाकी हासिल करने और सवाब पाने की नियत करे। यह वुज़ू बनाने का एक ज़रूरी हिस्सा है। इससे पहले कि हम अपने आप को धोना शुरू करें, हमें बिस्मिल्लाह (अल्लाह के नाम पर) कहना चाहिए।

2. हाथ धोना 

तीन बार दोनों हाथो को पहुँचो तक धोये पहले सीधे हाथ से शुरू करे अपना दाहिना हाथ उंगलियों से कलाई तक तीन बार धोना होगा।

3. कुल्ली

 तीन बार कुल्ली करे और मिस्वाक करे। अगर मिस्वाक न हो, तो उंगली से अपने दांत साफ करे की मैल-कुचैल जाता रहे। अगर रोज़ेदार न हो, तो ग़रारा करके अच्छी तरह सारे मुँह में पानी पहुचाये और अगर रोज़ा हो तो ग़रारा न करे की शायद कुछ पानी हलक़ में चला जाये।                                                 

4. नाक में पानी 

फिर तीन बार नाक में पानी डाले और बायें हाथ से नाक साफ़ करे लेकिन जिन का रोज़ा है वह जितनी दूर तक नरम-नरम गोश्त है,उससे ऊपर पानी न ले जाये। 

5. मुँह धोना 

फिर तीन बार मुँह धोये, इस तरह की सर के बालो से लेकर ठोढ़ी के नीचे तक और इस कान की लौ उस कान की लौ तक सब जगह पानी बह जाये, दोनों भवों के नीचे भी पानी बह जाये, कही सूखा न रहे। 

6. हाथ धोना 

तीन बार दाहिना हाथ कुहनियों सहित धोये, फिर बाया हाथ और एक हाथ की उंगलियों को दूसरे हाथ की उंगलियों में डालकर खिलाल करे और अंगूठी-छल्ला-चूड़ी, जो कुछ हाथो में पहने हो , हिला ले की कही सूखा न रह जाये। 

7. सर का मसह करना 

एक बार सारे सिर मसह करे, फिर कान का मसह करे अंदर की तरफ़ की कलमा की उंगली से और के कान के ऊपर का अंगूठों से मसह करे, फिर उंगलियों के पीछे की तरफ़ से गरदन का मसह करे, लेकिन गले का मसह न करे की यह बुरा और मना है। कान के मसह के लिए नये पानी के लेने की जरूरत नहीं है। सिर के मसह से जो बचा हुआ पानी हाथ में लगा हुआ है, वही काफ़ी है।  

8. पैर धोना 

तीन बार दाहिना पांव टखने सहित धोये, फिर बायां पांव टखने सहित तीन बार धोये और बायें हाथ की छगुलिया से पैरों की उंगलियों का साफ करे, पैर की दाहिनी छगुलिया से शुरू करे और बायीं छगुलिया पर खत्म करे। 

वज़ू में क्या चीज़ फ़र्ज़ है 

1. एक बार सारे मुँह का धोना 

2. दोनों कुहनियो तक दोनों हाथ धोना 

3. एक बार चौथाई सिर का मसह करना 

4. एक बार टखनो सहित दोनों पाव धोना 

वज़ू में सुन्नत

  • नियत करना ।
  • बिस्मिल्लाह पढ़ना ।
  • पहले दोनों हाथ गट्टों तक धोना ।
  • मिस्वाक करना ।
  • तीन बार कुल्ली करना ।
  • तीन बार नाक में पानी डालना ।
  • दाढ़ी का खिलाल करना ।
  • हाथ पांव की उंगलियों का खिलाल करना ।
  • हर हिस्से को तीन बार धोना ।
  • एक बार सारे सर का मसह करना यानी भीगा हुआ हाथ फेरना ।
  • दोनों कानों का मसह करना 

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