लैलतुल क़द्र: हजार महीनों से बेहतर रात | Laylatul Qadr ki Raat

Laylatul Qadr ki Raat

लैलतुल क़द्र इस्लाम में सबसे अधिक महत्वपूर्ण और बरकत वाली रातों में से एक है। यह वह रात है जिसमें कुरआन का नुज़ूल (अवतरित) हुआ। अल्लाह तआला ने इस रात को इतनी ज्यादा फज़ीलत दी है कि इसे "हजार महीनों से बेहतर" करार दिया। यह रात रमज़ान के आखिरी अशरे (अंतिम 10 रातों) में आती है और इसमें इबादत करने वाले को बेपनाह सवाब मिलता है।

लैलतुल क़द्र की विशेषताएँ

हजार महीनों से बेहतर: अल्लाह ने कुरआन में फरमाया: "लैलतुल क़द्र हजार महीनों से बेहतर है।" (सूरह अल-क़द्र 97:3) यानी जो इबादत इस रात में की जाती है, उसका सवाब लगभग 83 साल की इबादत के बराबर होता है।

फरिश्तों का ज़मीन पर उतरना: इस रात में हज़ारों फरिश्ते अल्लाह के हुक्म से ज़मीन पर उतरते हैं और मोमिनों के लिए दुआएं करते हैं।

गुनाहों की माफी: नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया: "जो शख्स ईमान और सवाब की नीयत से लैलतुल क़द्र की इबादत करता है, उसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।" (बुखारी, मुस्लिम)

शांति और रहमत से भरी रात: इस रात में अल्लाह की रहमत बरसती है और यह रात फज्र तक सलामती वाली होती है।

लैलतुल क़द्र की पहचान और तारीख

हदीसों में बताया गया है कि लैलतुल क़द्र को रमज़ान के अंतिम 10 दिनों की विषम रातों (21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं) में तलाश करना चाहिए। अधिकतर उलेमा 27वीं रात को लैलतुल क़द्र मानते हैं, लेकिन यह किसी भी विषम रात में हो सकती है। इसलिए हमें इन सभी रातों में इबादत करनी चाहिए।

इस रात की इबादत और दुआएं

1. नफ्ल नमाज़: इस रात में ज्यादा से ज्यादा नमाज़ पढ़नी चाहिए।

2. कुरआन की तिलावत: इस रात में कुरआन की तिलावत करने का बहुत सवाब है।

3. ज़िक्र और तस्बीह: "सुभानल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर" का खूब ज़िक्र करें।

4. दुआ: हज़रत आयशा (र.अ.) ने नबी (ﷺ) से पूछा कि लैलतुल क़द्र में कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए, तो आपने फरमाया: اللهم إنك عفو تحب العفو فاعف عني "हे अल्लाह! तू बहुत माफ़ करने वाला है, माफ़ करने को पसंद करता है, मुझे भी माफ़ कर दे।"

5. तौबा और इस्तिग़फार: अपने गुनाहों की माफी मांगें और अल्लाह से नेक आमाल की तौफ़ीक़ मांगे।

6. ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की मदद: इस रात में सदक़ा और खैरात करने का भी बहुत सवाब है।

इस रात की अहमियत कुरआन और हदीस में

सूरह अल-क़द्र: "हमने इस (कुरआन) को लैलतुल क़द्र में उतारा। और तुम क्या जानो कि लैलतुल क़द्र क्या है? लैलतुल क़द्र हजार महीनों से बेहतर है। इस रात में फरिश्ते और रूह (जिब्रील अ.स.) अपने रब के हुक्म से हर हुक्म लेकर उतरते हैं। यह रात फज्र तक सलामती वाली होती है।" (सूरह अल-क़द्र 97:1-5)

हदीस: नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया: "लैलतुल क़द्र को रमज़ान के आखिरी दस रातों में तलाश करो।" (बुखारी, मुस्लिम)

लैलतुल क़द्र अल्लाह की तरफ से एक बहुत बड़ा तोहफा है।

इसे बेकार न जाने दें, बल्कि पूरी रात इबादत करें।

अल्लाह से तौबा करें और अपनी ज़िंदगी को नेक आमाल से संवारें।

अल्लाह से दुआ करें कि वह हमें लैलतुल क़द्र की बरकतों से नवाजे और हमारे गुनाहों को माफ करे।

अल्लाह हमें इस रात की बरकतें नसीब करे, आमीन!

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